प्रखर समाजसेवी, शिक्षाविद एवं राजनिति मे रूची रखने वाले स्वर्गीय सेवानन्द पान्डेय के बताये रास्ते व किये गये कार्यो का अनूसरण करना ही जीवन मे सच्ची श्रद्धांजली होगी। आजीवन क्षेत्र में शिक्षा की अलख व कमजोर वर्ग के लोगो की मदद करते रहना ही सेवा की सेवा थी।व उसके लिये ताउम्र अलख जगाते रहे।उनका विचार था कि सुशिक्षित समाज हो कमजोर तबका समृद्धशाली हो व गरीब के घर चूल्हे चलपा बंद न हो।उनके आदर्शों और नीतियों को आत्मसात कर उनके अधूरे कार्यों को पूरा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उक्त विचार वक्ताओं ने स्वर्गीय सेवानन्द पान्डेय की श्रद्धांजली सभी मे सोमवार को कही।कहा कि सेवा जैसे लोग विरले ही पैदा होते है।वक्ताओ ने स्वर्गीय पान्डेय की स्मृतीयो को याद करते हुये अनुशरण करने का संकल्प लिया।
इससे पहले पूर्व मंत्री सनातन पान्डेय ने अतिथितो व परिजनो संग दीप प्रज्जलवित कर कार्यक्रम की शुरूआत की वहीं उपस्थित प्रकाण्ड विद्वानो ने स्वस्ति वाचन किया।श्रद्धांजली सभा को संबोधित करने वालों मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामबिचार पान्डेय, राजमंगल यादव, पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल ,सुरेन्द्र सिंह,शिवेन्द्रबहादूर सिंह,संजय यादव,शशिकांत चतुर्वेदी,उतीर्ण पान्डेय,सचितानन्द तिवारी,राजेश मिश्रा,कामेश्वर सिंह,शशिकांत चतुर्वेदी,अनिल सिंह,प्रमुख चिलकहर आदित्य गर्ग,समरबहादुर सिंह,भोला राम,सुशीला राजभर समेत लोगो ने संबोधित किया अध्यक्षता भोला राम व संचालन अफजाल कुरैशी ने किया।
आभार व्यक्त रामेश्वर पान्डेय,सोमेश्वर पान्डेय व राजीव रत्न पान्डेय ने वयक्त किया।
कार्यक्रम मे दस प्रकाण्ड विद्वानो,बीस कवियों,छः पत्रकारो,गयाको व वरिष्ठ जनो को अंगवस्त्रम देकर पूर्व मंत्री सनातन पान्डेय ने सम्मानित किया।
स्वर्गीय पान्डेय के सुपुत्र सोमेश्वर पान्डेय व राजीव रत्न ने आठ सौ कमजोर महिलाओ व पुरूषो को कंबल का वितरण किया।